Friday, 4 November 2011

मैना पाली है



खालीपन भरने को ये तरकीब निकाली है |
यार तुम्हारे नाम से घर में मैंना पाली है ||

रोज़ सुबह ही इससे होतीं लम्बी लम्बी बातें ,
उसे बताता हूँ कैसे काटी बिरहा की रातें ||
यह भी मेरी बातें सुनकर शीश हिलाती है |
आँखें घुमा घुमाकर जाने क्या समझाती है ||
यह मेरे सारे तालों की इकली ताली है |
यार तुम्हारे नाम से घर में मैना पाली है ||

उसे खिलाना और पिलाना अच्छा लगता है |
उसको अपने गीत सुनाना अच्छा लगता है ||
उसे देखता रहता हूँ वह इतना भाती है |
मैं गाता हूँ तो लगता है वह भी गाती है ||
कितनी सुन्दर है वह कितनी भोली भाली है |
यार तुम्हारे नाम से घर में मैना पाली है ||

मेरे सुख दुःख बाँट रही है बोल नहीं सकती |
मेरी कमियों का भी चिट्ठा खोल नहीं सकती ||
मेरी आँखों में सपनों के दीप जलाती है |
मैं उदास होता हूँ तो अनमन हो जाती है ||
इसने मेरे जीने की लालसा बचाली है |
यार तुम्हारे नाम से घर में मैना पाली है ||

पिंजरे में रहती है फिर भी गिला नहीं करती |
मुझसे कभी क्रोध में आकर मिला नहीं करती ||
मेरी प्यार भरी बातों से शर्मा जाती है |
मेरी साँसों की चिट्ठी तुम तक पंहुचाती है ||
थोड़ी शर्मीली है थोड़ी नखरों वाली है |
यार तुम्हारे नाम से घर में मैना पाली है ||

जब तक पिंजरा बंद तभी तक इससे नाता है |
यह रिश्तों का जाल हमें हर पल भरमाता है ||
जिस दिन इसकी प्रीति परिंदों से जुड़ जायेगी |
पिंजरा खुलते ही तुम जैसी यह उड़ जायेगी ||
यह सच्चाई दिल में अपने खूब बिठाली है |
यहाँ प्यार का मतलब संवेदन को गाली है ||
यार तुम्हारे नाम से घर में मैना पाली है ||

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