अपने भीतर प्रकाश कर लेगा ,
स्वर्ग में भी प्रवास कर लेगा |
प्यार की नाव से तेरा दिल भी ,
साहिलों की तलाश कर लेगा ||
देख यमुना के पास है अब भी
उसको तेरी तलाश है अब भी |
तू भटकता कहाँ है मन मोहन ,
तेरी राधा उदास है अब भी ||
दिल से दिल का वरण करे कोई ,
प्रीति का संवरण करे कोई |
वक्त के लाख लाख पहरों से ,
रुक्मिणी का हरण करे कोई ||
स्वप्न बूंदों में ढल गये होंगे ,
कितने मौसम बदल गये होंगे |
यों नहीं भूमि को मिली गंगा ,
कितने पर्वत पिघल गए होंगे ||
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