Thursday, 8 September 2011

दोहे

त्राही त्राही जनता करे,मौज करे हुक्काम |
फिर भी पकिस्तान को , दीख रहा संग्राम ||

दो कौड़ी का देश है , हमें रहा ललकार |
याद नहीं आती इसे , तीन बार की  मार ||

याददाश्त कमज़ोर है ,तेरी पाकिस्तान |
अपने ही दामाद को नहीं रहा पहचान ||

बोल रहे हैं अंतुले ,बिना तोल के  बोल |
अबकी बार चुनाव मैं,जनता देगी तोल ||

आँखों मैं लज्जा नहीं , बलिदानों पर क्लेश |
ऐसे मंत्री को रहा ,झेल हमारा देश ||

बलिदानों की तेरहवीं ,लगा रहे है लोग||
महापात्र इस देश के राजनीती के लोग ||  

धमकी पर धमकी चढ़ी ,वादों पर प्रतिवाद |
मर्द मौन हो सुन रहे ,हिजड़ों का संवाद ||

घर छूटा  कुर्सी गयी ,चढ़ा प्यार का भूत |
चाँद मोहम्मद बन गए ,भजनलाल क पूत||

ये तो दिल का रोग है , ले लेता है प्राण |
मंत्री पद की बात क्या, कहते है कल्याण ||

भारत कब तक रहेगा ,बन कर गौतम बुद्ध |
आखिर करना पड़ेगा आर पार का युद्ध ||








No comments:

Post a Comment