त्राही त्राही जनता करे,मौज करे हुक्काम |
फिर भी पकिस्तान को , दीख रहा संग्राम ||
दो कौड़ी का देश है , हमें रहा ललकार |
याद नहीं आती इसे , तीन बार की मार ||
याददाश्त कमज़ोर है ,तेरी पाकिस्तान |
अपने ही दामाद को नहीं रहा पहचान ||
बोल रहे हैं अंतुले ,बिना तोल के बोल |
अबकी बार चुनाव मैं,जनता देगी तोल ||
आँखों मैं लज्जा नहीं , बलिदानों पर क्लेश |
ऐसे मंत्री को रहा ,झेल हमारा देश ||
बलिदानों की तेरहवीं ,लगा रहे है लोग||
महापात्र इस देश के राजनीती के लोग ||
धमकी पर धमकी चढ़ी ,वादों पर प्रतिवाद |
मर्द मौन हो सुन रहे ,हिजड़ों का संवाद ||
घर छूटा कुर्सी गयी ,चढ़ा प्यार का भूत |
चाँद मोहम्मद बन गए ,भजनलाल क पूत||
ये तो दिल का रोग है , ले लेता है प्राण |
मंत्री पद की बात क्या, कहते है कल्याण ||
भारत कब तक रहेगा ,बन कर गौतम बुद्ध |
आखिर करना पड़ेगा आर पार का युद्ध ||
No comments:
Post a Comment