Saturday, 17 September 2011

तिरंगा

भारत की अस्मिता का एक नाम तिरंगा |
बलिदानियो के रक्त का परिणाम तिरंगा ||
उद्दाम राष्ट्र चेतना का धाम तिरंगा |
फहरा रहा है विश्व में अविराम तिरंगा ||
भारत की आन बान है धरती की शान है |
यह ध्वज नहीं है देश का गौरव गुमान है ||
करता रहा गुलामी से संग्राम तिरंगा |
स्वाधीनता का विश्व में पैगाम तिरंगा ||

केशरिया रंग चढ़ती जवानी की तरह है |
सदियों के त्याग तप की कहानी की तरह है ||
बलिवेदियों पे शीश के दानी की तरह है |
यह शौर्य की तलवार के पानी  की तरह है ||
इस रंग की अरुणाई में सूरज की कथा है |
रक्तिम जलधि की उग्र तरंगों की व्यथा है ||
भारत के स्वाभिमान का आकाश रचा है |
इस रंग ने ही देश का इतिहास रचा है ||
सम्मान का चढ़ता हुआ  पारा है तिरंगा |
बोलो न गर्व से कि हमारा है तिरंगा ||

धरती कि तरह है जो इसका रंग हरा है |
उत्साह नई क्रांति के सपनों का भरा है ||
इस रंग में उत्कर्ष के अश्वों कि त्वरा है |
यह रंग परिश्रम के ललाटों से झरा है ||
यह देश के भूगोल कि पहचान बना है |
भू देवता के त्याग का यश गन बना है ||
सम्रद्धि के स्वर इसने सभी साध रखे हैं |
इस रंग ने धरती के रंग बांध रखे हैं ||
जय हिंद का उदघोष त्रिवाचा है तिरंगा |
आतंक के गालों पे तमाचा है तिरंगा ||

जो श्वेत रंग है त्याग के पलड़े पे तुला है |
इस रंग में कुछ रंग अहिंसा का घुला है ||
यह द्वार है जो शांति के पिंजरे का खुला है |
आंसू कि धार से या पसीने से धुला है |
पानी कि तरह है मगर पानी तो नहीं है |
है वर्तमान गुजरी कहानी तो नहीं है ||
इस रंग से ही न्याय कि सत्ता अमंद है |
इस रंग से ही सत्य का रुतबा बुलंद है ||
इस्रंग को सीने में छुपाये है तिरंगा |
समझो कि शपथ सत्य कि खाए है तिरंगा ||

यह चक्र मेरे देश के दर्शन की तरह है |
विज्ञानं के वैभव के प्रदर्शन की तरह है ||
हर छन पे साँस साँस पे जीवन की तरह है |
यह चक्र जो कि चक्र सुदर्शन कि तरह है ||
इस चक्र ने धरती को विजय गान दिया है |
इस चक्र ने जड़ताओं को गतिमान किया है ||
भारत के सपूतों के लिए जान की  तरह |
यह चक्र है उगते हुए दिनमान की  तरह ||
सपनों सा अपनी आँख में पाले है तिरंगा |
इस चक्र को सीने में संभाले है तिरंगा ||

यह देश की धड़कन से जुड़ा है इसीलिए|
एहसास के आंगन से जुड़ा है इसीलिए ||
यह देश के जन-गण से जुड़ा है इसीलिए |
यह प्यार के बंधन से जुड़ा है इसीलिए ||\
शोलों में उतर जाएगी इस देश की जनता |
तूफाँ  से गुज़र जाएगी इस देश की जनता ||
जो चाहिए कर जाएगी इस देश की जनता |
इसके लिए मर जाएगी इस देश की जनता ||
भारत के कीर्तिरथ को ये रुकने नहीं देगी |
मिटके भी तिरंगे को ये झुकने नहीं देगी ||
जनता के इसी मर्म पे आघात किया है |
मुद्दा न कोई है तो तिरंगे को लिया है ||
पाएगा सियासत से क्या सम्मान तिरंगा |
जब बन गया है वोट का सामान तिरंगा ||

यह राम है रहीम है पूजा है करम है |
उम्मीद है उत्साह है मजहब है धरम है ||
तरूणाई की बाहों में फड़कता है तिरंगा |
इस देश के सीने में धड़कता है तिरंगा ||
यह देश की इज्ज़त है इसे शान से रखो |
दिल में है अगर शेष तो ईमान से रखो ||
सत्ता की चाह ले के उठाओ न तिरंगा |
अपनी बिसात पर यूँ बिछाओ न तिरंगा ||
हम सबके लिए क्या है बताओ न तिरंगा |
इस ओछी राजनीति में लाओ न तिरंगा ||
इस देश की जनता स्वयं इन्साफ करेगी |
इससे कोई गुस्ताखी नहीं माफ़ करेगी ||
हम सबके लिए जान से प्यारा है तिरंगा |
बोलो न गर्व से  कि  हमारा है तिरंगा |||

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