Tuesday, 20 September 2011

हमारी  रक्त रंजित ईद होली कौन करता है ?

बनाई स्रष्टि ईश्वर ने तो कितना ध्यान रक्खा था |
कि हर सै में कोई सपना कोई अरमान रक्खा था ||
मुहब्बत नाम से चेहरा कोई वो दे नहीं पाया ,
तो उसने प्यार का उन्वान ही इन्सान रक्खा था ||

धरा पर उस बड़े फनकार कि कारीगरी हम हैं |
ये दुनिया है विधाता कि तो इसकी जिंदगी हम हैं||
दिया उसने जो हमको और किसके पास है बोलो ,
कि उस शायर की सबसे खुबसूरत शायरी हम हैं ||

हमारी जिंदगी को उसने सुबहोशाम सौंपे हैं |
हमारी जिंदगी को प्यार के पैगाम सौंपे हैं ||
दया,करुना, मुहब्बत ,एक दूजे के लिए मिटना,
हमारी धडकनों को उसने कितने काम सौंपे हैं ||

यहाँ मरती रहीं किलकारियां हर ओर हम भी थे |
यहाँ जलतीं रहीं फुलवारियां हर ओर हम भी थे ||
हमारे सामने मिटती रहीं कृतियाँ विधाता की ,
यहाँ बढ़तीं  रहीं बीमारियाँ हर ओर हम भी थे ||

यहाँ पर ,क्या यहाँ पर ,राम या रहमान रहते हैं ?
इसी धरती पे क्या मालिक तेरे अरमान रहते हैं ?
यहाँ पर हर तरफ शैतान का साम्राज्य फैला है ,
यहाँ क्या वाकई में रव तेरे इन्सान रहते हैं ?

यहाँ नफरत की डायन गा रही थी और हम भी थे |
नदी उन्माद की लहरा रही थी और हम भी थे |
लुटीं कोखें मिटीं मांगें ,अनाथालय बनी बस्ती ,
सियासत मौत सी मंडरा रही थी और हम भी थे ||

हमारे प्यार का बंधन जला हम कुछ नहीं बोले |
हमारी सभ्यता का धन जला हम कुछ नहीं बोले |
मुहब्बत का दिया ही जल न पाया दोस्तों हमसे ,
यहाँ चारों तरफ जीवन जला हम कुछ नहीं बोले ||

हमारा तन व मन गिरवी रखा था इसलिए चुप थे |
हमारा अपनापन गिरवी रखा था इसलिए चुप थे |
ज़बानों पर हमारी क्यों थे ताले लोग पूंछेंगे ,
हमारा ज़ेहन भी गिरवी रखा था इसलिए चुप थे ||

कहाँ पर सर झुकायेंगे ,कहाँ पर मुंह छुपायेंगे |
हमारी पीढियां पूछेंगी उनसे क्या बताएँगे ||

लड़ाता कौन है हमको यहाँ हर बार ये सोचो |
बनाता  कौन है हमको यहाँ  लाचार   ये सोचो ||
सियासत चाहती है और हम आपस में लड़ते हैं |
हमारी जिंदगी का कौन है मुख़्तार ये सोचो ||

हमारे घर में भी मरियम सी माँ है सोचना होगा |
हमारे घर में भी बिटिया जवां है सोचना होगा ||
हमारे फूल से बच्चे हमारी राह तकते हैं |
हमारे सामने भी आइना है सोचना होगा ||

हमारी रक्त रंजित ईद होली कौन करता है |
हमारी दर्द से लबरेज़ झोली कौन करता है |
हमारी जिंदगी को दो निवाले दे नहीं सकता ,
हमारी भूख से आकर ठिठोली कौन करता है ||

हमें हिन्दू या मुस्लिम कौन करता  है यहाँ बोलो |
कौन उन्माद की बारूद भरता है यहाँ बोलो ||
हमें हर  हाल में ही तोड़ने का यत्न करता है ,
हमारी एकता से कुन डरता है यहाँ बोलो ||

उसे देखो जिसे किलकारियां अच्छी नहीं लगतीं |
हमारे देश की फुलवारियाँ अच्छी नहीं लगतीं ||
जिसे सम्मान भारत वर्ष का अच्छा नहीं लगता ,
जिसे इस मुल्क की खुद्दारियां अच्छी नहीं लगतीं ||

हमारे रास्ते को दिन ब दिन दुश्वार करता है |
हमारे देश के सद् भाव को बीमार केरता है ||
जो डॉलर ,पौंड या दीनार के हाथों बिका बैठा |
हमारे प्यार के आँगन  में जो दीवार करता है ||
उसे खोजो तभी देश का अंधियार जाएगा |
वो जिंदा रह गया तो देश अपना  हार जायेगा |
उसे सूली चढ़ा दो या उसे जिंदा दफ़न कर दो ,
नहीं तो प्यार के रिश्तों को लकवा मार जायेगा ||

लहू है कीमती इसको न सड़कों पर बहाओ तुम ,
वतन पर आँच आई तो वतन का काम आएगा |
लहू इस मुल्क का यदि खौल उटठा जो मेरे भाई ,
तो ये संसार सारा एक पल को कांप जायेगा || 


No comments:

Post a Comment