Monday, 14 April 2014

 

पराजय  

मैं पराजित हो गया हूँ मीत  तुमसे
समझ लेना 
हो न पाया सर्जना का युद्ध 
केवल मिलन के भ्रम से नहीं 
जीत के स्वर में न बोलीं तुम 
किसी भी बिंदु से 
हार बनकर तुम मिलीं बस 
जीत की अनुभूति मेरी रह गयी क्वारी 
मैं तुम्हारी हार से संग्राम करके क्या करूंगा  
हार तो बैठा तुम्हारे हाथ 
अपने दम्भ सारे 
यह अकिंचन जीत ,मेरे मीत ! 
इससे समझ लेना 
तुम्हारे हार में 
गूंथे गुलाबों की महक से 
सवासित हो गया हूँ 
आत्मा से देह तक 
छोड़कर  धनु - बाण 
मैं तुम्हारी हार के सम्मुख 
बद्ध कर नतसिर 
पराजित हो गया हूँ ! 

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