Wednesday, 2 April 2014

स्वागत नए वर्ष का

हे समय की कालबद्ध संज्ञा के प्रतीक
 नूतन वर्ष तुम्हारा स्वागत है
पलकें बिछी हैं तुम्हारी अगवानी में
चलकर आ सकोगे इनपर
बहुत कठिन होगा तुम्हारे लिए
तीन सौ पैंसठ दिनों /रातों के सम्राट
फूलों की तरह बिछे हैं बड़े - बड़े लोग
तुम्हारे स्वागत में
तुम स्वीकार करोगे कुछ क्षण बाद उन्हें
फूलों की जगह अपनी विराट लिप्साओं से
गुंथे हुए हार लिए स्वागत में
चहरे बदल चुके ये चरित्र
तुम्हे घर में सजाकर महान हो जायेंगे
ये बौने लोग
इन्हीं की आकांक्षाओं के रथ पर
बैठ कर आना तुम
भीड़ के समुद्र में बूंदों की तरह लहराएंगे
तुम्हारी अगवानी में हम जैसे लोग
आरती गाकर तालियां बजायेंगे
 भले ही नहीं देख पाएंगे तुम्हें
और उस रथ को भी जिस पर
बैठे होगे तुम बादशाह की तरह !
संसार को नवीनता का आभास देने वाले
जादूगर नए साल !
तुम्हारी आहटों के साथ जाते हुए साल की सवारी
कहाँ देख पाये  हम
कोशिश कर रहे हैं महसूसने की
हैम उस वर्ग के हैं जो केवल
महसूस करने के गुण धर्म से मालामाल है !
हे ,हर्ष और सम्भावनाओं के विश्वास
 एशिया खंड का भारत भी सवा अरब लोगों के साथ
अपना भरोसा जोडे है तुम्हारे साथ
वैसे इसे तज़ुर्बा है  विश्वास और दिल के टूटने का
रखना याद
व्यवस्था की यह भारी -भारी मालाएं
तुम्हें मज़बूर कर देंगी
थोड़े से लोगों के आगे आभारी होने के लिए !
एक -एक पल से जुड़े समय के संकलन !
सुनना मेरी भी प्रार्थनाएं
भले ही प्रतिभाओं का परिहास करना
उपहास करना निर्धनता का
दुखियों को शान्ति पाठ सुनाना
पीड़ितों को मोक्ष का मार्ग बताना
चाटुकारों को चांदी बांटना
अवसरवादियों का बर्थडे केक  काटना
षड्यंत्रकारियों को सुविधाएं और
 भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए
नयी - नयी धाराएं देना
महानता की नवीन परिभाषाएं देना अनाचारियों को
लेकिन इस अभागे देश की
बड़ी - बड़ी कुर्सियों के खाते में ज़रूर लिख देना
थोड़ी सी संवेदना /ममता/करुणा
और प्यार के साथ इंसानियत का पहला अक्षर !

  

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