छंद का टूट जाना
मेरी कविता के छंद टूट गए तुम
बहुत अच्छा हुआ
तुम्हें तो टूटना ही था
पीड़ाओं का गायन तुम्हारी नियति
स्याह होने लगे थे वे शब्द
जो तुम्हारे पास आते थे
स्वाभाविक था बंजर होती लय की ज़मीन पर
काँटों का उगना
अक्षरों में उगे कांटे
लेखनी में उतरने से पहले चुभते थे ज़ेहन में
ह्रदय की कोशिकाएं कर देते थे ज़ख्मी !
आज जब तुम टूट गए ,तो -
आंसुओं के अक्षरों से बने कंटीले शब्द
पास नहीं आयेंगे तुम्हारे !
निराश या दुखी मत हो मेरी कविता के छंद
अपने टूट जाने पर
बेहद ज़रूरी था तुम्हारे जीवन के लिए
तुम्हारा टूट जाना
अब तुम्हारे पास हिरन तो आयेगा
नहीं आयेगी उसकी प्यास
फूलों और तितलियों के रंग तो दिखेंगे
नहीं महसूस होगी उनकी कोमलता
किसी की पीड़ा का बखान तो करोगे
किन्तु नहीं छटपटाएगा तुहारा ह्रदय
धीरे -धीरे मेरी कविता स्वीकार लेगी
तुम्हारे इस नए रूप को
तुम बच जाओगे पीड़ा के अथाह सागर में -
असमय डूबने से
अच्छा हुआ कि तुम टूट गए !
मेरी कविता के छंद टूट गए तुम
बहुत अच्छा हुआ
तुम्हें तो टूटना ही था
पीड़ाओं का गायन तुम्हारी नियति
स्याह होने लगे थे वे शब्द
जो तुम्हारे पास आते थे
स्वाभाविक था बंजर होती लय की ज़मीन पर
काँटों का उगना
अक्षरों में उगे कांटे
लेखनी में उतरने से पहले चुभते थे ज़ेहन में
ह्रदय की कोशिकाएं कर देते थे ज़ख्मी !
आज जब तुम टूट गए ,तो -
आंसुओं के अक्षरों से बने कंटीले शब्द
पास नहीं आयेंगे तुम्हारे !
निराश या दुखी मत हो मेरी कविता के छंद
अपने टूट जाने पर
बेहद ज़रूरी था तुम्हारे जीवन के लिए
तुम्हारा टूट जाना
अब तुम्हारे पास हिरन तो आयेगा
नहीं आयेगी उसकी प्यास
फूलों और तितलियों के रंग तो दिखेंगे
नहीं महसूस होगी उनकी कोमलता
किसी की पीड़ा का बखान तो करोगे
किन्तु नहीं छटपटाएगा तुहारा ह्रदय
धीरे -धीरे मेरी कविता स्वीकार लेगी
तुम्हारे इस नए रूप को
तुम बच जाओगे पीड़ा के अथाह सागर में -
असमय डूबने से
अच्छा हुआ कि तुम टूट गए !
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