प्रेम की शक्ति
कहते हैं लोग अक्सर
बहुत शक्ति होती है प्रेम में
पत्थरों को पिघलाने की
लोहे को गलाने की
पहाड़ काटकर दूध की नदियां बहा देने की
मरुस्थल में उद्यान रचा देने की
बर्बर शत्रु को अपना बना लेने की
होता होगा शायद
इतना ताक़तवर प्रेम !
त्याग /बलिदान /करुणा /ममता
प्रेमी को सम्पूर्ण समर्पण
अहम का विसर्जन
प्रेमी के पास कहने के नाम पर
नाम भी शेष नहीं छोड़ते
फिर
पत्थर पिघले न पिघले
लोहा गले न गले
पहाड़ कटे न कटे
दूध की नदियां बहें न बहें
रेगिस्तान में उद्यान रचे न रचे
शत्रु मित्र बने न बने
वह स्वयं बन जाता है
दीवाना /पागल /विक्षिप्त
साहित्यिक भाषा में दार्शनिक !
कहते हैं लोग अक्सर
बहुत शक्ति होती है प्रेम में
पत्थरों को पिघलाने की
लोहे को गलाने की
पहाड़ काटकर दूध की नदियां बहा देने की
मरुस्थल में उद्यान रचा देने की
बर्बर शत्रु को अपना बना लेने की
होता होगा शायद
इतना ताक़तवर प्रेम !
त्याग /बलिदान /करुणा /ममता
प्रेमी को सम्पूर्ण समर्पण
अहम का विसर्जन
प्रेमी के पास कहने के नाम पर
नाम भी शेष नहीं छोड़ते
फिर
पत्थर पिघले न पिघले
लोहा गले न गले
पहाड़ कटे न कटे
दूध की नदियां बहें न बहें
रेगिस्तान में उद्यान रचे न रचे
शत्रु मित्र बने न बने
वह स्वयं बन जाता है
दीवाना /पागल /विक्षिप्त
साहित्यिक भाषा में दार्शनिक !
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