Wednesday, 9 April 2014

वह लड़की

उस लड़की से बेपनाह मोहब्बत है मुझे
दाखिल हुई मेरे जीवन में
टूटती उम्र के पड़ाव पर
प्यास चटख जाने के बाद
एक समझौते के तहत !
टूट गया अलिखित समझौता
औपचारिकता के कांच की तरह
किरच - किरच
तपती  दोपहर में बदली की भाँति
अचानक ही आंधी - तूफ़ान में
तेज बारिस में /बर्फीली हवाओं में
खुद को मेरे पास आने से नहीं रोक सकी
अदम्य आकांक्षा थी उसकी
मुझे छूने / देखने की
अस्तित्व में समा जाने की
ऐसा किया भी उसने
तपते चुंबनों /रेशमी छुअनों  का
सम्मोहक दृष्टि का
जो रक्त में घुल  - घुल जाए !
मेरे भीतर का हिटलर मर गया
विरह की आग में झुलसता
वनवास का दारुण दुःख झेलता
हताशा के हलाहल से मृतप्राय यक्ष
अनुराग की ऊर्जा के जागते ही
जीवन के प्रति मोह से भर गया !
प्यास - प्यास में घुलने लगी
न कोई अवरोध न शर्त
न बंधन न मुक्ति / केवल समर्पण !
प्यार और केवल प्यार
फिर शुरू हुए गिले शिकवे
मेरे समूचे अस्तित्व पर
असर करने लगी दुनियावी संबंधों की तुलना
मेरी आत्मा में झांकने के बजाय
मेरी धड़कनों को अनसुना कर
आँखों में प्यार के अक्स देखना छोड़
तर्कों और सफाइयां का सिलसिला
सच्चाइयों को ढकने के लिए गुस्से का पर्दा
मेरे प्यार की कमजोरी को हथियार बना लिया
मैंने अपने पास उसके अलावा कुछ भी  नही रखा
सोच की अंतिम सीढ़ी तक केवल वही
मन की टूटन शरीर पर भारी पड़ी
सपनों की दुनिया से यथार्थ में वापस लौट गयी
आज वर्षों बाद फोन पर जब उसने
हेलो कहकर मेरा हाल चाल पूछा
सूखे पत्तों की तरह झड़ गया मेरा यथार्थ
चाहने की हदों के आगे अंतिम सांस तक
मेरी सोच में वही रहेगी
यह मेरा अंतिम सत्य है
वह लड़की जो पहली और अंतिम बार
आंधी की तरह आई थी मेरे जीवन में !


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