पुश्तैनी घर ढह गया
पितामह के भी पितामह ने अपने सर पर
मिट्टी ढो - ढो कर रचीं थीं दीवारें
बांस और शीशम की धन्नियों से छत पड़ी
बनी कोठरियां /बैठक और रसोईघर
साल दर साल बदलते रहे तरवाहे के छप्पर
समय सापेक्ष पीढ़ियों के साथ
सुखद भविष्य की अगवानी में
इस पुश्तैनी घर के चारोंओर पहरा लगाते रहे
पुरखों के संस्कार
कब जाने छप्पर की जगह पड गयी
टीन की चादर कच्ची दीवारों पर
पीली मिट्टी और गोबर की जगह
पोता जाने लगा चूना
खूब ज़्यादा होने लगी सफाई
इतनी कि घुटने लगा संस्कारों का दम
पचासों बरसातें /भूकम्प और बाढ़ें
आक्रामक हुईं इस पुश्तैनी घर पर
सीना तान कर खड़ा रहा घर
प्रतिद्वंदी पहलवान को अखाड़े में पछाड़
विजेता मल्ल की तरह हाथ उठाये
अपने बच्चों पर पंख फैलाकर बैठे
कबूतर की तरह
कभी कोई कोना टूटा भी
मिट्टी भी खिसकी किसी दीवार से
घर का यह दुःख परिवार ने हाथों हाथ लिया
बूढ़े बाप की टहल की तरह
पहरेदारी कर रहे पुरखों के संस्कार
भेंट चढ़ गए विषैली हवा की
नयी पीढ़ी के पाँव बाहर निकले
घर की दहलीज़ से इसतरह
एक बरसात भी नहीं झेल सका पुश्तैनी घर
हिमालय की तरह सीना ताने
कई दशक से खड़ा था
इस बार की बरसात में ऐसे ढह गया
मानों वह ढहने के लिए
इसी बरसात की राह देख रहा था !
पितामह के भी पितामह ने अपने सर पर
मिट्टी ढो - ढो कर रचीं थीं दीवारें
बांस और शीशम की धन्नियों से छत पड़ी
बनी कोठरियां /बैठक और रसोईघर
साल दर साल बदलते रहे तरवाहे के छप्पर
समय सापेक्ष पीढ़ियों के साथ
सुखद भविष्य की अगवानी में
इस पुश्तैनी घर के चारोंओर पहरा लगाते रहे
पुरखों के संस्कार
कब जाने छप्पर की जगह पड गयी
टीन की चादर कच्ची दीवारों पर
पीली मिट्टी और गोबर की जगह
पोता जाने लगा चूना
खूब ज़्यादा होने लगी सफाई
इतनी कि घुटने लगा संस्कारों का दम
पचासों बरसातें /भूकम्प और बाढ़ें
आक्रामक हुईं इस पुश्तैनी घर पर
सीना तान कर खड़ा रहा घर
प्रतिद्वंदी पहलवान को अखाड़े में पछाड़
विजेता मल्ल की तरह हाथ उठाये
अपने बच्चों पर पंख फैलाकर बैठे
कबूतर की तरह
कभी कोई कोना टूटा भी
मिट्टी भी खिसकी किसी दीवार से
घर का यह दुःख परिवार ने हाथों हाथ लिया
बूढ़े बाप की टहल की तरह
पहरेदारी कर रहे पुरखों के संस्कार
भेंट चढ़ गए विषैली हवा की
नयी पीढ़ी के पाँव बाहर निकले
घर की दहलीज़ से इसतरह
एक बरसात भी नहीं झेल सका पुश्तैनी घर
हिमालय की तरह सीना ताने
कई दशक से खड़ा था
इस बार की बरसात में ऐसे ढह गया
मानों वह ढहने के लिए
इसी बरसात की राह देख रहा था !
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