चित्र के भगवान
नमन तुमको चित्र के भगवान
मेरे राम
तुम हो उन पलों की सृष्टि
जब अनहद जगा अनुभूति जाएगी मनुज में
और वह करने लगा अनुमान
स्वयं में उसने तलाशा अंततः यह रूप
हे चितेरे के ह्रदय के भूप !
अलौकिक /अनुपम सुघर छवि
चेतना में चिर निहित अस्तित्व
कल्पना के तरल रंगों से संवारा
कामना की कूचियों से
ह्रदय की करुणा चिरंतन वेदना से
डालकर प्रतिबिम्ब में नव प्राण
खुद महकने लग गया
निज भावना की सुरभियों से !
नमन तुमको आर्त के सौंदर्य !
मनुज के अन्वेषणों का ताप
हैं अलंकृत आप जितने रंगों से
उतने ही रंगों में था विभाजित
छवि तुम्हारी है महज एकात्म दर्पण
अंतर का समर्पण है तुम्हारी सृष्टि
स्वीकारो मुझे
राम मेरे चित्र के भगवान !
नमन तुमको चित्र के भगवान
मेरे राम
तुम हो उन पलों की सृष्टि
जब अनहद जगा अनुभूति जाएगी मनुज में
और वह करने लगा अनुमान
स्वयं में उसने तलाशा अंततः यह रूप
हे चितेरे के ह्रदय के भूप !
अलौकिक /अनुपम सुघर छवि
चेतना में चिर निहित अस्तित्व
कल्पना के तरल रंगों से संवारा
कामना की कूचियों से
ह्रदय की करुणा चिरंतन वेदना से
डालकर प्रतिबिम्ब में नव प्राण
खुद महकने लग गया
निज भावना की सुरभियों से !
नमन तुमको आर्त के सौंदर्य !
मनुज के अन्वेषणों का ताप
हैं अलंकृत आप जितने रंगों से
उतने ही रंगों में था विभाजित
छवि तुम्हारी है महज एकात्म दर्पण
अंतर का समर्पण है तुम्हारी सृष्टि
स्वीकारो मुझे
राम मेरे चित्र के भगवान !
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